तू बहुत सहनशील तू ही सबसे बड़े ह्रदय वाली है
तू ही माँ , बहिन ,पत्नी , पुत्री , सखी,
तू ही संसार चलने वाली तू ही देवी की तरह पूजे जाने वाली
तू ही देशरक्षा करने वाली दुर्गावती ,तू ही लक्ष्मी बाई
तू ही देश को शिवा देने वालो वाली जीजाबाई
फिर क्यूँ तू कोख से म्रत्यु तक कोसे जाने वाली..
फिर क्यूँ तू ही दरिंदो की नज़र में आने वाली ..
फिर क्यूँ तू सिर्फ भोगवस्तु माने जाने वाली ...
फिर क्यूँ तू घूंघट में घुट के जीने वाली...
फिर क्यूँ तू बाज़ार में बिकने वाली.....
फिर क्यूँ तू दहेज में जलने वली ,
फिर क्यूँ तू ही हमेशा जलील होने वाली...
नारी तू अपना स्वाभाव बदले ले...
आँशु ,रुन्दन , क्षमा छोड़ जीने का तरीका बदल ले.....
तू अपना सलीका रख पर इनको जीने का तरीका दे!
तू प्रण कर तू अपने अंशो को शिवा बनाएगी और जरुरत पड़ी तो खुद चंडी भी बन जाएगी
प्रण कर कोई द्रौपदी अब लाचार नहीं होगी!!!
कोई और अब न दरिंदो का शिकार होगी , तू खुद इनका फैसला लेगी ,
खुद अपना सलीका ,मान-सम्मान , अपमान और जिन्दी जीने का तरीका लिखेगी!
अर्पण
सहनशील Tolerant
कोख Womb
सलीका Manners
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