हुक्मरानों को भी मालूम हो की प्रजा से छल की सजा क्या होती है ...
जब - जब खोला खून इस वतन का तो हर शंहशाह को पता चला की बगावत क्या होती है .....
तमन्ना है दिल की , मेरे खून का एक कतरा तो कम से कम इस देश के काम आए ....
मैं हूँ नहीं मोजूद वहाँ पर "जंतर मंतर " की भीड़ से मेरी भी आवाज़ आए ....
इस बार तुम न टूटना इस देश के रखवालो...
" अन्ना , अरविन्द ,मनीष,प्रशांत , विश्वाश "
बस तुम पर ही टिकी है इस देश की आश
वक्त आएगा तो इस माटी पर जाँ भी निशार देंगे ...
तुम सुधारो कानून इस देश का हम हर कदम पर तुम्हारा साथ देंगे ...
...अर्पण कुमार शर्मा
जब - जब खोला खून इस वतन का तो हर शंहशाह को पता चला की बगावत क्या होती है .....
तमन्ना है दिल की , मेरे खून का एक कतरा तो कम से कम इस देश के काम आए ....
मैं हूँ नहीं मोजूद वहाँ पर "जंतर मंतर " की भीड़ से मेरी भी आवाज़ आए ....
इस बार तुम न टूटना इस देश के रखवालो...
" अन्ना , अरविन्द ,मनीष,प्रशांत , विश्वाश "
बस तुम पर ही टिकी है इस देश की आश
वक्त आएगा तो इस माटी पर जाँ भी निशार देंगे ...
तुम सुधारो कानून इस देश का हम हर कदम पर तुम्हारा साथ देंगे ...
...अर्पण कुमार शर्मा